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Sandalwood Cultivation

चंदन के समान मूल्यवान इन पेड़ों की लकड़ियां बेचकर होश उड़ाने वाला मुनाफा हो सकता है

चंदन के समान मूल्यवान इन पेड़ों की लकड़ियां बेचकर होश उड़ाने वाला मुनाफा हो सकता है

भारत एक कृषि प्रधान देश है। इसी कड़ी में यहां वृक्षों की विभिन्न प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं। कुछ वृक्ष तो व्यावसायिक उपयोग में लिए जाते हैं। वहीं, कुछ वृक्षों में औषधीय गुण विघमान होते हैं। बाजार में औषधीय पेड़ के बीज, पत्ती, छाल, जड़ एवं लकड़ी की अच्छी-खासी कीमत मिल जाती है। विश्वभर में पेड़ों के उत्पादन का चलन बढ़ता जा रहा है। यह पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अहम भूमिका अदा करता हैं। मृदा को बांधे रखने एवं भूजल स्तर को अच्छा करने में भी वृक्षों की अहम भूमिका है। फर्नीचर और औषधियों के लिए पेड़ों की खेती का प्रचलन बढ़ रहा है। देश में कुछ पेड़ों की लकड़ी के सहित छाल, जड़ों, फल और पत्ती में भी औषधीय गुण विघमान होते हैं। यही वजह है, जो बाजार में इन वृक्षों की अच्छी खासी कीमत प्राप्त हो रही है।

चंदन की खेती

चंदन के पेड़ के औषधीय गुणों से आज कौन रूबरू नहीं होगा। देश दुनिया में सफेद एवं लाल चंदन की बेहद मांग है। परंतु, मांग के अनुरूप उत्पादन नहीं है, क्योंकि
चंदन के पेड़ को तैयार होने में भी काफी वर्ष लग जाते हैं। इसके उपयोग द्वारा परफ्यूम से लेकर शराब, साबुन, सौंदर्य उत्पाद आदि विभिन्न उत्पाद निर्मित किए जाते हैं। इन्हीं सब कारणों के चलते सफेद एवं लाल दोनो तरह के चंदन करोड़ों की कीमत पर विक्रय किए जाते हैं।

महोगनी की खेती

अगर किसान धैर्यपूर्वक महोगनी की खेती करे तो वह महोगनी के उत्पादन से करोडों की आमदनी कर सकता है। बतादें, कि महोगनी के इस पेड़ के लकड़ी, पत्तियां व बीज से लेकर छाल तक काफी अच्छे भाव पर बेचे जाते हैं। परंतु, इस पेड़ को तैयार करने में लगभग 12 वर्ष का समय लग जाता है। अगर हम इसके बीज और लकड़ी की कीमत पर नजर ड़ालें तो इसका बीज 1,000 रुपये किलो वहीं लकड़ी 2000-2200 रुपये क्यूबिक फीट के भाव से बिकती है। साथ ही, इस महोगनी पेड़ के औषधीय गुणों वाली फूल, पत्ती और छाल भी काफी महँगे भावों पर बेची जाती है। इसकी खेती से तकरीबन 1 करोड़ तक की आमदनी की जा सकती है। यह भी पढ़ें: यह पेड़ आपको जल्द ही बना सकता है करोड़पति, इसकी लकड़ी से बनते हैं जहाज और गहने

नीम की खेती

नीम के औषधीय गुणों की बात करें तो यह कलयुग की संजीवनी के समान हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है, कि नीम प्रत्येक गली, मौहल्ले में देखने को मिल जाती है। परंतु, नीम की गुणवत्ता एवं इसके लाभ को जानने के बाद भी लोग इसका उपयोग नहीं करते हैं। जानकारी के लिए बतादें, कि एंटी-बैक्टीरियल एवं एंटीसेप्टिक, गुणों से युक्त निबौरी, छाल, लकड़ी और नीम की पत्तियों से बनते हैं। जिनको बाजार में काफी ज्यादा कीमत पर बेचा जाता है। इसकी विशेषताओं को ध्यान में रखके लोग मालाबार नीम की खेती करने में रुचि दिखा रहे हैं।

दालचीनी की खेती

अगर हम दालचीनी की बात करें तो रसोई के सर्वाधिक पंसदीदा मसालों में आने वाली दालचीनी अपने आप में एक औषधी है। दालचीनी पेड़ की छाल को मसाले के रूप में उपयोग किया जाता है। दक्षिण भारत में दालचीनी का उत्पादन बड़े स्तर पर किया जा रहा है। यहां इससे सौंदर्य और स्वास्थ्य उत्पाद के साथ तेल निकाला जाता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दालचीनी का व्यवसाय करोड़ों रुपए का है।

आम की खेती

आम के मीठे स्वाद को तो सब जानते हैं, सबने इसका स्वाद भी खूब चखा होगा। परंतु, क्या आपको यह पता है, कि इसकी पत्ती एवं लकड़ी की भी बाजार में काफी मांग रहती है। आम की लकड़ी से समस्त बैक्टीरिया दूर भाग जाते हैं। भारत में हवन पूजा यानी शुभ कार्यों में आम के पत्ते एवं लकड़ी का उपयोग किया जाता है। इसकी लकड़ी बैक्टीरिया नाशक है। यही कारण है, कि पूरे वर्ष इसकी मांग रहती है।
लाल चंदन की खेती से किसान कुछ ही वर्षों में मालामाल हो सकते हैं

लाल चंदन की खेती से किसान कुछ ही वर्षों में मालामाल हो सकते हैं

यदि आप भी अपने खेतों में चंदन की खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए यह लेख एक बार अवश्य पढ़ लें। जिससे कि आप कम वक्त में इससे ज्यादा से ज्यादा मुनाफा उठा सकें। जैसा कि हम जानते हैं, कि भारत के अधिकांश ग्रामीण लोग खेती करके ही अपना जीवन यापन करते हैं। परंतु, आज के दौर में देखा जाए तो किसान खेती से ज्यादा धन नहीं कमा पा रहे हैं। कुछ किसानों ने तो पारंपरिक खेती को छोड़कर बाकी तरीकों को अपनाना चालू कर दिया है।

लाल चंदन की खेती करेगी मालामाल

परंतु, आज हम आपके लिए ऐसी कृषि की जानकारी लेकर आए हैं, जिसको अपनाकर आप करोड़पति तक बन सकते हैं। इसके लिए आपको ज्यादा कुछ करने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। केवल थोड़ा सा धैर्य धारण करना पड़ेगा। अर्थात एक बार इस पौधे को अपने खेत में रोपने के पश्चात आपको कुछ वर्षों तक प्रतीक्षा करनी होगी। दरअसल, जिस खेती की हम बात कर रहे हैं, उसका नाम लाल सोना की खेती है। बतादें कि आज के समय में यह विश्व भर में सबसे ज्यादा मुनाफे का व्यवसाय साबित हो रही है। ये भी पढ़े:
15 बीघे में लाल चंदन की खेती कर कैसे हुआ किसान करोड़पति

लाल चंदन को लाल सोना क्यों बोलते हैं

दरअसल, आज हम जिस लाल सोने की चर्चा कर रहे हैं, उसको बाजार में चंदन भी कहा जाता है। इसकी कीमत देश-विदेश के बाजार में काफी ज्यादा होती है। यदि आप अपने खेत में लाल सोने के पौधों को रोपते हैं, तो आप कुछ ही वर्षों के अंदर इसको बाजार में बेचकर करोड़ों रुपए आसानी से कमा सकते हैं। फिलहाल, आपके दिमाग में यह बात आ रही होगी कि यदि इसकी खेती की मांग और कीमत इतनी ज्यादा है, तो भारत का प्रत्येक किसान लाल सोने की खेती क्यों नहीं करता है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इसकी खेती करना कोई आसान काम नहीं है। इसके लिए किसानों को काफी दीर्घ काल तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। वहीं, समय-समय पर इसकी देखभाल से लेकर बहुत सारे जरूरी काम भी करने होते हैं।

लाल चंदन के एक पेड़ की कीमत

भारतीय बाजार में लाल सोना मतलब की चंदन के पेड़ की कीमत लाखों में होती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, बाजार में इसके एक ही पेड़ की कीमत लगभग 6 लाख रुपए तक होती है।

चंदन के पेड़ की खेती हेतु सरकारी सहायता

भारत सरकार की ओर से भी चंदन के पेड़ की खेती करने के लिए आर्थिक रूप से सहायता की जाती है। मीडिया खबरों के अनुसार, लाल सोना मतलब कि चंदन की खेती के लिए सरकार से किसानों को 28-30 हजार रुपए तक आर्थिक रूप से सहायता की जाती है। ये भी पढ़े: चंदन के समान मूल्यवान इन पेड़ों की लकड़ियां बेचकर होश उड़ाने वाला मुनाफा हो सकता है

एक हेक्टेयर भूमि में लाल चंदन के कितने पौधे लगेंगे

यदि आप बाजार के अंदर इसके एक पौधे को खरीदने के लिए जाते हैं, तो आपको इसका एक ही पौधा 100 से लेकर 150 रुपए तक पड़ेगा। वहीं, यदि आप अपने खेत के एक हेक्टेयर में इसकी खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको तकरीबन 600 पौधों की जरूरत पड़ेगी। जो कि 12 साल में अच्छे से तैयार हो जायेंगे। समय के अनुरूप आपको इन 600 पेड़ों का भाव बाजार के अंदर मिलेगा। यदि हम वर्तमान भाव के अनुरूप बात करें तो आप लाल सोने के 600 पेड़ों से कम से कम 30 करोड़ रुपए अर्जित कर सकते हैं।
वैज्ञानिकों द्वारा चलाई गई इस परियोजना से किसान कम समय में चंदन की खेती से बनेंगे मालामाल

वैज्ञानिकों द्वारा चलाई गई इस परियोजना से किसान कम समय में चंदन की खेती से बनेंगे मालामाल

चंदन की खेती से कृषक कम लागत लगाकर करोड़ों रूपए तक कमा सकते हैं। परंतु, इसकी पैदावार के लिए 10-15 वर्षों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, जिसकी वजह से देश के कुछ ही किसान चंदन की खेती करते हैं। साथ ही, केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान ने कम समयांतराल में तैयार होने वाले चंदन के पौधों को विकसित कर रहा है। चंदन का उत्पादन करने से किसान भाइयों को बेहद ही ज्यादा मुनाफा मिलता है। भारत के अधिकांश किसान इसकी खेती की ओर अपनी दिलचस्पी तो दिखाते हैं, परंतु तकनीकी अभाव के कारण वह चंदन की खेती नहीं कर पाते हैं। दरअसल, चंदन के पेड़ों से मुनाफा हांसिल करने के लिए तकरीबन 10-15 सालों तक की लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ती है। इसी कड़ी में केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान ने एक पहल की है, जिसमें अच्छे और गुणवत्तापरक चंदन के पौधे विकसित किए जा रहे हैं। फिलहाल इस काम पर वैज्ञानिकों की तरफ से शोध किया जा रहा है, जिससे कि किसानों को कम समयावधि में चंदन की खेती से ज्यादा से ज्यादा फायदा अर्जित हो सके। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि चंदन का उपयोग पूजा-पाठ से लगाकर बाकी विभिन्न प्रकार के शुभ कार्यों में किया जाता है। इसकी वजह से बाजार में चंदन की मांग और कीमत दोनों ही काफी बढ़ जाती हैं।

वैज्ञानिकों की तरफ से चंदन के वृक्षों पर परियोजना जारी

कृषकों की आमदनी में बढ़ोतरी करने के लिए केंद्रीय मृदा और लवणता अनुसंधान संस्थान (सीएसएसआरआई) करनाल के वैज्ञानिकों की तरफ से चंदन के बेहतर और गुणवत्तापरक पौधों को विकसित किया जा रहा है। इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक डॉ. राज कुमार ने बताया है, कि चंदन के पौधों पर यह परियोजना कार्य संस्थान के निदेशक डॉ. आरके यादव के दिशा निर्देशन में किया जा रहा है। वर्तमान में भी चंदन के पौधे पर शोध बरकरार चल रहा है। उन्होंने कहा है, कि चंदन के वृक्ष से फायदा उठाने के लिए किसानों को 10-15 वर्षों की प्रतीक्षा करनी पड़ती है। वैज्ञानिकों के द्वारा इसी दीर्घकालीन प्रतीक्षा को कम करने के लिए यह परियोजना जारी की गई है। इसके साथ ही चंदन के वृक्ष के पास किस मेजबान पौधे को रखें एवं कितनी खाद, कितना पानी दिया जाए आदि अहम पहलुओं पर भी कार्य चल रहा है, जिससे कि चंदन के पेड़ों से फायदा पाने का समयांतराल कम हो सके। प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार, संस्थान में एक एकड़ जमीन में चंदन के पौधे स्थापित किए गए हैं, जो कि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किए गए हैं।

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किसानों के लिए चंदन का वृक्ष काफी फायदेमंद है

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, चंदन का वृक्ष जितना पुराना होगा, बाजार में उतना ही ज्यादा उसका भाव होता है। यदि देखा जाए तो चंदन का एक पेड़ लगभग 15 वर्ष में तैयार होता है, तो बाजार में उस एक पेड़ की कीमत करीब 70 हजार रुपये से लेकर दो लाख रुपये तक हो सकती है। ऐसी स्थिति में फिलहाल आप अनुमान लगा सकते हैं, तो चंदन की खेती कर किसान कुछ ही वर्षों में लाखों की आमदनी सहजता से कर सकते हैं।

चंदन का पौधा बाकी दूसरे पौधों से खुराक लेता है

चंदन के पौधे के साथ में बाकी दूसरा पौधा भी लगाया जाता है। क्योंकि, यह वृक्ष स्वयं अपनी खुराक दूसरे पौधों की जड़ों से प्राप्त करता है। दरअसल, चंदन के पौधे की जड़ें अन्य दूसरे पौधों की जड़ों को अपने में जोड़ लेती हैं। फिर उसे मिलने वाली खुराक को वह अपनी खुराक में परिवर्तित कर लेता है, जिससे कि पौधा बेहतर ढ़ंग से तैयार हो सके।